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बुधवार, 17 मई 2017

इश्क़ पे इल्लत लगा.......

इश्क़ पे  इल्लत लगा  इश्रत मनाने  आ गए
गोया अपने आपको आदिल बताने आ गए

इत्तिका  इताब  का  लेते   यहाँ  जो  लोग  हैं
क़ब्ल को कर ख़ाक वो खुत्बा सुनाने आ गए

आह से इख्लास का  इज़्हार कैसे  हो गया
अन्जुमन में सब मुझे कातिल बनाने आ गए

बस जरा चिलमन से अपने देख ले तू इम्तियाज़
नाखुदा  की  राह  में  काफिर  जमानें   आ गए

उस बुते-काफिर से मिलकर वो खुदी में खो गया
इक निशेमन  तोड़कर  महफिल  सजाने  आ गए

विक्रम


1-इल्लत=दोष2-इश्रत=आनंद  3आदिल=न्यायपूर्ण,नेक 4-इत्तिका=सहारा 5-इताब=क्रोध6-क़ल्ब=दिल,आत्मा 7-खुत्बा=भाषण,धर्मोपदेश 8-इख्लास=प्रेम 9इम्तियाज़=अंतर,फर्क 10-नाखुदा=मल्लाह,पार लगाने वाला 11-बुते-काफिर=अति खूबसूरत औरत 12-खुदी=घमंड 13-निशेमन=आशियाना.

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