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बुधवार, 17 मई 2017

नया चित्र तू बना चितेरे......

नया चित्र तू बना चितेरे

शून्य श्याम नव अंकित कर दे
अणु विहीन आलोकित  कर दे

सृष्टि और सृष्टा दोने के,भेद मिटाना आज चितेरे

नया चित्र तू बना चितेरे

अहम् और त्वम् नहीं दिखाना
पथिक  पंथ दोनों  बन  जाना

जीवन मरण संधि रेखा ही,नहीं बनाना आज चितेरे

नया चित्र तू बना चितेरे

जड़, चेतन, चेतन,जड़ रखना
भूत भविष्य विलोपित करना

अंतहीन काया की छाया,नही दिखाना आज चितेरे

नया चित्र तू बना चितेरे

विक्रम

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