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बुधवार, 17 मई 2017

तुम्हारे जाने के बाद......

तुम्हारे जाने के बाद
तुम्हारे न होने की अनुभूति
ले आई मुझे
बीते लम्हों में
यह जानते हुए
नही हो तुम
न जाने क्यूँ -
याद आ रहा है
तुम्हारी पलकों का कँपना
खुलना झँपना
हाँ याद है
थरथराते होंठो की छुवन
मुस्कराती आँखों के अनकहे कथन
जो बिखरे हैं,यहीं कहीं
मेरे आस-पास
मैं जानता हूँ तुम नही हो
मैं मानता हूँ तुम हो
हम मिलते हैं
प्रतिपल प्रतिदिन
सुनहरी ओस कणों में
दरिया किनारों में
शाम की शांत हवाओं में
संगीत की स्वर लहरियों में
रात्रि के टूटते तारें में
हम मिलते हैं न

विक्रम 

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