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बुधवार, 17 मई 2017

मेरा कुसूर क्या यहाँ.........

मेरा  कुसूर  क्या  यहाँ  आलिम  बताइये
आशुफ़्ता करके बज़्म से मुझको न जाइये

मेरे  अज़ीज़ मैं  हूँ  अजब से  अज़ाब में
अब्तर मुझे अब्सार से करके दिखाइये

ख़ुत्बा दिया  खुदी का  मेरी एक  न सुनी
गुलशन उजाड़ करके न गर्दिश को लाइये

नुक्ताबीं नागवार है  सबकी  निगाह  में
आकर जरा फ़िगार को नादिर बनाइये

दिल में गिरह लगा के गिरिया न कीजिये
मेरे  फ़िदाई  फ़ितरत  में  फत्वा  लगाइये

विक्रम

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