आप इतना यहाँ पर न इतराइये
चंद सासों की राहें सभल जाइये
अज़नबी मान करके कहाँ जा रहे
आपको भी यहाँ हमसफर चाहिये
जख्म लेकर यहाँ मै तो जीता रहा
जहर मिलता रहा जहर पीता रहा
जिंदगी के तजुर्बे बड़े ख़ास हैं
रुबरु होने उनसे चले आइये
एक मासूम के पास जाना कभी
प्यार से उसके गालों को छूना कभी
उसके मुस्कान में है जहाँ की ख़ुशी
अपने दामन में भर कर उन्हें लाइये
जर्रे- जर्रे में जिसका यहाँ नूँर है
पास होते हुये भी बहुत दूर है
दर्द का एक कतरा किसी दीन से
माग करके उसी में उसे पाइये
विक्रम
वाह ! क्या बात है !
जवाब देंहटाएंमकर संक्रान्ति की शुभकामनाएं !
नई पोस्ट हम तुम.....,पानी का बूंद !
नई पोस्ट बोलती तस्वीरें !
बहुत ही सुंदर भवाभिव्यक्ति, विक्रम जी
जवाब देंहटाएंशानदार,सुंदर मुक्तक ...!
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