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गुरुवार, 19 अप्रैल 2012

जीवन का सफर चलता ही रहें........








जीवन का सफर चलता ही रहें ,चलना हैं इसका काम

कहीं तेरे नाम,कहीं मेरे नाम,कहीं और किसी के नाम

हर राही की अपनी  राहें  ,हैं  अपनी  अलग  पहचान

मंजिल अपनी ख़ुद ही चुनते,पर डगर बडी अनजान

खो जाती  सारी  पहचाने, जो  किया   कहीं   विश्राम

कहीं तेरे नाम कहीं मेरे नाम,कहीं और किसी के नाम

इन राहों में मिलते रहते,कुछ अपने कुछ  अनजान

हर राही के आखों में सजे कुछ सपने कुछ अरमान

सपनों से सजी इन राहों में,कहीं सुबह हुयी कहीं शाम

कहीं तेरे नाम कहीं मेरे नाम कहीं और किसी के नाम


विक्रम[पुन:प्रकाशित]

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपनी अपनी मंजिल अपना-अपना रास्ता।

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  2. सपनों से सजी इन राहों में,कहीं सुबह हुयी कहीं शाम
    कहीं तेरे नाम कहीं मेरे नाम कहीं और किसी के नाम,.....

    अच्छी अभिव्यक्ति,सुंदर पंक्तियों से सजी खुबशुरत रचना,.....

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  3. "हर राही की अपनी राहें, हैं अपनी अलग पहचान"
    बहुत खूबसूरती से जीवन की सच्चाई लिख दी है आपने... सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए आपका आभार...

    जवाब देंहटाएं
  4. ...बस अपनों का साथ रहे,
    जीवन यूँ ही चलता रहे !

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  5. सपनों से सजी इन राहों में,कहीं सुबह हुयी कहीं शाम
    कहीं तेरे नाम कहीं मेरे नाम कहीं और किसी के नाम,.....
    बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति।

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